रियल एस्टेट: अस्थिर विश्व में भारत की आर्थिक सुरक्षा-भूमि
हाउसिंग, ऑफिस, लॉजिस्टिक्स, डेटा सेंटर के साथ हॉस्पिटैलिटी, सीनियर लिविंग, रिटेल और प्रॉपटेक क्यों
निर्णायक हैं?
भारत का रियल एस्टेट 2024 मेंलगभग ₹51.4 लाख करोड़ (डॉलर 584 अरब) पर था। अनुमान हैकि 2030 तक
यह ₹74.4 लाख करोड़ (डॉलर 846 अरब) तक पहुँचेगा। आज यह क्षेत्र देश की जीडीपी का लगभग 7.3% देता हैऔर आनेवाले वर्षों में इसका हिस्सा और बढ़ सकता है। येसिर्फ इमारतेंनहीं हैं; यह रोज़गार, आय, टैक्स, शहरों की कनेक्टिविटी और डिजिटल अर्थव्यवस्था सबको साथ खींचने वाली शक्ति है।
घरेलूमाँग सबसे भरोसेमंद कुशन:
हमारा रिटेल बाज़ार 2024 में ₹93.3 लाख करोड़ (डॉलर 1.06 ट्रिलियन) के आसपास था और 2030 तक इसके ₹169.8 लाख करोड़ (डॉलर 1.93 ट्रिलियन) होनेका अनुमान है। इतनी बड़ी घरेलूखपत हमेंबाहरी झटकों से
बचाती हैऔर रियल एस्टेट मेंलंबी, स्थिर माँग का आधार बनाती है।
चार मुख्य इंजन –
- हाउसिंग: 2017 के करीब ₹10.6 लाख करोड़ (डॉलर 120 अरब) से 2022 में₹42 लाख करोड़
(डॉलर 477 अरब); अब 2030 तक डॉलर 1 ट्रिलियन की साफ़ राह। भरोसेमंद डेवलपर, समय पर
डिलीवरी और “क्लब-लिविंग + स्मार्ट-स्पेस” जैसी सुविधाएँबिक्री को गति देरही हैं। - ऑफिस/कमर्शियल: 2024 मेंलगभग ₹4.4 लाख करोड़ (डॉलर 49.8 अरब); 2033 तक ₹22.3
लाख करोड़ (डॉलर 253 अरब) की संभावना। टेक-जीसीसी, फिन-सर्विसेज, हेल्थ-टेक और एआई-टीमों के कारण “ग्रेड-ए, अच्छी लोके शन” वाली इमारतों की माँग बनी हुई है। - इंडस्ट्रियल-लॉजिस्टिक्स: जन–मार्च 2025 में लीज़िंग ~40% बढ़ी। 3पीएल, ई-कॉमर्स, एफएमसीजी, ऑटो-ईवी इनकी सप्लाई-चेन को चलानेवालेमल्टी-लोके शन वेयरहाउस-ग्रिड बन रहे हैं।
- डेटा सेंटर: 2024 में भारत 1 गीगा वॉट क्षमता पार कर चुका; 2027 तक ~1.8 गीगावॉट लक्ष्य। इसके लिए डॉलर ~5–6 अरब नई पूँजी चाहिए—हाई-डेंसिटी, लो-लेटेंसी कैम्पस, मज़बूत पावर और “ग्रीन एनर्जी” टाई-अप के साथ। यह अब ऑफिस-लॉजिस्टिक्स जितना ही ठोस “हार्डएसेट” बन चुका है।
हॉस्पिटैलिटी, सीनियर लिविंग, रिटेल –
• हॉस्पिटैलिटी: औसत ऑक्यूपेंसी ~70% और औसत कमरे का किराया ~₹10,000/रात की ओर। एयर-कनेक्टिविटी, घरेलूपर्यटन और इवेंट-डिमांड सेटियर-2 शहरों मेंभी नए होटल संभव।
• सीनियर लिविंग: आज आकार ₹18–26 हजार करोड़ (डॉलर 2–3 अरब); 2030 तक ~₹1.06
लाख करोड़ (डॉलर ~12 अरब) की राह। सुरक्षित-समुदाय, मेडिकल-लिंक और सम्मानजनक जीवन यहीं
भविष्य का स्पेस है।
• रिटेल रियल एस्टेट: 2025 की पहली छमाही मेंनई लीज़िंग ~69% बढ़कर ~5.7 मिलियन
वर्गफु ट; एपैरल + F&B ~54% डिमांड। मॉल “अनुभव-पहला” मॉडल पर—खाने-पीने, मनोरंजन और
नेबरहुड हाई-स्ट्रीट का रोल बढ़ा है।
प्रॉपटेक डिजिटल टर्बो, तेज़ नतीजे:
आज आकार करीब ₹0.92 लाख करोड़ (डॉलर ~10.5 अरब); 2047 तक ~₹52.8 लाख करोड़ (डॉलर ~600 अरब) तक जाने का अनुमान (कुल सेक्टर का ~12–13%)। असर साफ़ हैएआई-आधारित लीड-मैचिंग और 3डी/
वीआर टूर सेबिक्री तेज़; ई-डॉक्यूमेंट्स और वैल्यूएशन सेविवाद कम; ड्रोन-सर्वेऔर डिजिटल-ट्विन सेनिर्माण-समय/लागत घटतेहैं; स्मार्ट-मीटर/आईओटी से ऑपरेशंस आसान होते हैं।
टैरिफ का दबाव, भारत का रास्ता:
अगस्त 2025 से अमेरिका ने भारत-उत्पत्ति कई सामानों पर अतिरिक्त ड्यूटी लगाई; कु छ श्रेणियों में कुल बोझ ~50% तक जा रहा है। व्यावहारिक जवाब यही है देश के भीतर उद्योग + लॉजिस्टिक्स + डेटा कैम्पस की स्पीड
बढ़े, और इसके लिए रियल एस्टेट को तेज़ मंज़ूरी, साफ़ ज़ोनिंग और भरोसेमंद पूँजी मिले।
जियो–इकोनॉमिक अपडेट:
हाल के उच्च-स्तरीय एससीओ/ब्रिक्स भारत–रूस–चीन संवाद और पश्चिम के टैरिफ/टेक-कं ट्रोल के बीच सप्लाईचेन नए रूट तय कर रही है। तेल-स्टील की कीमतेंनिर्माण-लागत को पर असर डालेंगी; नए व्यापार-कॉरिडोर/एयरकार्गो से लॉजिस्टिक्स पार्क व वेयरहाउस की माँग बढ़ेगी; ऊर्जा-सुरक्षा और डेटा-नीतियाँ डेटा-सेंटर के ठिकाने तय करेंगी। किसी भी दशा में, मेक-इन-इंडिया के लिए स्मार्ट इंडस्ट्रियल-पार्क, ट्रांजिट-लिंक्ड हाउसिंग और क्लीन-डेटा
आधारित तेज़ मंज़ूरी ही सबसे भरोसेमंद रास्ता है।
5 सधेकदम:
1. 60-दिन ई-अनुमोदन और सिंगल-विंडो—प्रोजेक्ट-टाइम घटेगा।
2. ट्रांज़िट-लिंक्ड एफएआर/एफएसआई—जहाँमेट्रो/ब्राउनफील्ड इन्फ्रा है, वहाँबोनस।
3. डेटा-सेंटर क्लस्टर—स्थिर पावर, मल्टी-फाइबर, “ग्रीन एनर्जी” का साफ़ रोडमैप।
4. लॉजिस्टिक्स नोड—रेल-रोड-एयर-इनलैंड जल का जोड़; वेयरहाउस-ग्रिड।
5. क्लीन-डेटा पोर्टल, ओपन एपीआई—रजिस्ट्री सेएनालिटिक्स तक एक-सी सच्चाई; सरकार, बैंक
डेवलपर-खरीदार सभी के लिए।
‘कमाल का भोपाल’ बन सकता है नेशनल मॉडल:
क्रेडाई भोपाल मानता हैकि रियल एस्टेट एक बहु-स्तरीय आर्थिक इंजन है। राज्य और राजधानी को इस व्यापक
विकास यात्रा का रणनीतिक केंद्र बनाया जाना चाहिए। ‘कमाल का भोपाल’ रिपोर्ट का क्रियान्वयन औद्योगिक त्रासदी के सदमे से उबर रही राजधानी को मल्टी सेगमेंट वैश्विक निवेश और सप्लाई चेन रिलोके शन का गेटवे बना
सकता हैं। रियल एस्टेट अब भारत की आर्थिक संप्रभुता और रणनीतिक स्थिरता की भूमि है।
समापन:
हाउसिंग भरोसा बनाती है, ऑफिस उत्पादकता बढ़ातेहैं, लॉजिस्टिक्स-वेयरहाउस निर्यात-ताकत हैं, डेटा सेंटर नई अर्थव्यवस्था के “पावर स्टेशन” हैंऔर हॉस्पिटैलिटी-रिटेल-सीनियर लिविंग खपत का असर बढ़ाते हैं। ऊपर से प्रॉपटेक इस पूरी मशीन को डिजिटल टर्बो दे रहा है। यही सब मिलकर भारत की आर्थिक सुरक्षा-रेखा खींचतेहैं
आज के लिए भी, 2047 के लिए भी और सबके मूल मेंहैरियल एस्टेट सेक्टर।
— मनोज मीक
ब्लॉगर | अध्यक्ष, क्रेडाई भोपाल | रियल-एस्टेट थिंक लीडर
ब्लॉग | रियल एस्टेट: अस्थिर विश्व मेंभारत की आर्थिक सुरक्षा-भूमि |
स्रोत संक्षेप:
• IMARC, India Real Estate Market, 2024–2033 — राष्ट्रीय बाज़ार आकार व 2033 अनुमान
• IBEF, Indian Real Estate Industry, 2024/25 — जीडीपी में ~7.3%; दीर्घ-दृष्टि
• CBRE, India Market Monitor, Q1-FY25 (I&L) — इं डस्ट्रियल-लॉजिस्टिक्स लीज़िंग ~40% सालाना
वृद्धि
• JLL, India Data Centre Update, 2025 — 2024 में 1 गीगावॉट सेअधिक; 2027 तक ~1.8 गीगावॉट
• Deloitte–FICCI, India Retail Outlook, 2024/25 — रिटेल: 2024 ≈ डॉलर 1.06 ट्रिलियन → 2030 ≈
डॉलर 1.93 ट्रिलियन
• HVS–ANAROCK, HOPE/HIO, 2024–25 — ऑक्यूपेंसी ~70%, औसत कमरेका किराया ~₹10,000/
रात (ट्रेंड)
• ASLI–JLL, Senior Living in India, 2023/24 — 2030 तक ~डॉलर 8–12 अरब अनुमान
• CREDAI–EY, Real Estate @2047, 2024 — प्रॉपटेक 2047: ~डॉलर 600 अरब (~12–13%)
• Federal Register (USTR), 27 Aug 2025; एजेंसी कवरेज — अमेरिका मेंअतिरिक्त टैरिफ/ड्यूटी अपडेट
नोट: मुद्रा रूपांतरण: ₹88 = 1 डॉलर; आँ कड़ेराउंड-ऑफ
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